चुनावी दौर
कंडक्टर को किराया देने के लिए साहब जैसे ही
जेब में हाथ डालने लगे तो साथ बैठे अजनबी ने
उसका हाथ पकड़ते हुए कहा
"नहीं भाई साहब आपका किराया मैं देता हूँ"
साहब ने कहा कि वह अपना किराया खुद दे देगा
लेकिन अजनबी मेहरबान हो रहा था और उसका किराया दे दिया। अगले स्टाप पर अजनबी बस से उतरा और वो साहब
अपनी जेब से कुछ निकालने लगा तो सर थाम कर बैठ गया क्योंकि उस अजनबी ने उसकी जेब काट ली थी। 😝😝😝
दूसरे दिन उस साहब ने उस अजनबी को बाजार में पकड़ा
तो वह चोर साहब को गले लगाकर रोने लगा
"साहब जी मुझे माफ कर दीजिए आपसे चोरी करने के बाद
मेरी बेटी मर गई" उस साहब ने दिल बड़ा करते हुए चोर को माफ कर दिया। चोर चला गया लेकिन उसने गले मिलते मिलते समय फिर से साहब का जेब साफ कर गया था। 😂 😂
कुछ दिनों बाद साहब अपनी मोटरसाइकिल से कहीं जा रहे थे
कि रास्ते में उनको उसी चोर ने रोक लिया। चोर ने रोते हुए माफी मांगी और चोरी किये हुए सारे पैसे भी लौटा दिये। चोर पास के रेस्टोरेंट में ले जाकर चाय नाश्ता कराने के बाद चला गया और जब वह साहब अपनी मोटरसाइकिल के पास आया तो देखा चोर इस बार उसकी मोटरसाइकिल ही ले गया था। 😂 😂 😂
बिल्कुल यही हाल अपने देश की जनता और नेताओं का है। भोली भाली जनता इन पर विश्वास करते हैं और ये राजनेता हर बार उन्हें नये नये तरीकों से लूटते हैं। 😏😏
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